अब (चेता स्तोता ) इन प्रयोगों में *(स्थाने अन्तरतम्)* इस सूत्र से प्रमाणकृत आन्तर्य(समानता) मानें तो ह्रस्व इकार उकार के स्थान में अकार गुण प्राप्त है इससे अभीष्ट प्रयोगों की ...
🔥 *प्रत्ययः।* 3.1.1। प वि:- प्रत्ययः 1.1। अर्थ: - प्रत्ययः इति अधिकारो अयम् आ पञ्चमाध्यायपरिसमाप्तेः। आर्यभाषा:- प्रत्यय यह अधिकार है। इसके आगे जो कहेंगे उनकी प्रत्यय संज...
*आदि और अन्त का लक्षण:-* *प्रश्न :-*आदि और अन्त का लक्षण क्या है? *उत्तर: -*यस्मात् पूर्व नास्ति परमस्ति स आदिरित्युच्यते।यस्मात् पूर्मस्ति परं च नास्ति सोsन्त इत्युच्यते। *महाभ...
*उदात्त और अनुदात्त का लक्षण* पाणिनीय अष्टाध्यायी में *उच्चैरुदात्त*(1.2.29) *नीचैरनुदात्त* (1.2.30) ये उदात्त और अनुदात्त स्वरों के लक्षण हैं।इन सूत्रों का प्रायशः यह अर्थ समझा जा...
*उदात्त और अनुदात्त का लक्षण* पाणिनीय अष्टाध्यायी में *उच्चैरुदात्त*(1.2.29) *नीचैरनुदात्त* (1.2.30) ये उदात्त और अनुदात्त स्वरों के लक्षण हैं।इन सूत्रों का प्रायशः यह अर्थ समझा जा...
*स्वरित का लक्षण* पाणिनी मुनि ने स्वरित का यह लक्षण किया है कि *समाहारः स्वरितः* 1.2.31 अर्थात् उक्त उदात्त और अनुदात्त का दो समाहार = सम्मिश्रण है , वह स्वरित कहलाता है।स्वरित की र...