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Showing posts from January, 2018

अष्टाध्यायीमहाभाष्य परिभाषा 1.1.50

अब (चेता स्तोता ) इन प्रयोगों में *(स्थाने अन्तरतम्)* इस सूत्र से प्रमाणकृत आन्तर्य(समानता) मानें तो ह्रस्व इकार उकार के स्थान में अकार गुण प्राप्त है इससे अभीष्ट प्रयोगों की ...

अष्टाध्यायी 3.1.5

*सन् प्रत्ययः* 🔥 *गुप्तिज्किद्भ्यः सन्।3.1.5* प वि:- गुप्-तिज्-किद्भ्यः 5.3। सन् 1.1। अर्थ: - गुप्-तिज्-किद्भ्यः धातुभ्यः परो सन् प्रत्ययः भवति। आर्यभाषाया:- गुप्-तिज्-किद् धातुओं के सन...

अष्टाध्यायी 3.1.4

🔥 *अनुदात्तौ सुप्पितौ।3.1.4* प वि:- अनुदात्तौ 1.2। सुप्-पितौ 1.2। अर्थ: - सुपः प्रत्ययाः पितः प्रत्ययाः च अनुदात्ताः भवन्ति। इति पूर्वस्य सूत्रस्य अपवादः।  प इत् यस्य सः *पित्*। आर्य...

अष्टाध्यायी 3.1.3

🔥 *आद्युदात्तश्च।3.1.3*   प वि:- आद्युदात्तः 1.1। च। अनुवृत्ति: - प्रत्ययः। अर्थ: -  यः च प्रत्ययः संज्ञकः स आद्युदात्तः भवति , इत्यधिकारो अयम् आ पञ्चमाध्यायपरिसमाप्ते।यस्य प्रत्...

अष्टाध्यायी 3.1.2

🔥 *परश्च।3.1.2* प वि:- परः 1.1। च। अनुवृत्ति: - प्रत्ययः। अर्थ: - यः च प्रत्ययसंज्ञकः, सः धातोः प्रातिपदिकाद् वा परो भवति, इत्यधिकारोsयम् , आ पञ्चमाध्यायपरिसमाप्तेः। आर्यभाषा: -( च) और जि...

अष्टाध्यायी 3.1.1

🔥 *प्रत्ययः।* 3.1.1।      प वि:- प्रत्ययः 1.1।     अर्थ: -  प्रत्ययः इति अधिकारो अयम् आ पञ्चमाध्यायपरिसमाप्तेः। आर्यभाषा:- प्रत्यय यह अधिकार है। इसके आगे जो कहेंगे उनकी प्रत्यय संज...

तिङ् प्रत्यय

🔥  *तिङ् प्रत्ययाः*      *परस्मैपद:-*   1. तिप् ,   तस् ,   झि।    2. सिप् ,   थस् ,   थ।   3.  मिप् ,   वस् , मस्।         *आत्मनेपद:-* 1.   त ,      आताम् ,        झ।  2.   थास् ,   आथाम् ,    ध्वम्। 3.   इट् , ...

सुप् प्रत्यय

🔥 *सुप् प्रत्ययाः* 1.  सुँ ,        औ ,        जस्। 2.  अम् ,     औट् ,         शस्। 3.   टा ,       भ्याम् ,     भिस्।  4.   ङे ,       भ्याम् ,     भ्यस्।  5.   ङसिँ ,    भ्याम् ,    भ्यस्।  6.   ङस...

वेद में ईश्वर का स्वरूप

🔥 *ईश्वर का वेदोक्त स्वरूप* *स पर्यागच्छुक्रमकायमव्रणमस्नाविरँ् शुद्धमपापविद्धम्।* *कविर्मनीषी परिभूः स्वम्भूर्याथातथ्यतोsर्थान् व्यदधाच्छाश्वतीभ्यः समाभ्यः।* ...

मातृ ऋकारान्त स्त्रीलिङ्ग

मातृ। ऋकारान्त स्त्रीलिङ्ग। 1. माता। मातरौ। मातरः। 2. मातरम्। मातरौ। मात्(दीर्घ ऋ)ः। 3. मात्रा। मातृभ्याम्। मातृभिः।  4. मात्रे।  मातृभ्याम्। मातृभ्यः। 5. मातुः। मातृभ्याम...

मरुत् तकारान्त पुल्लिङ्ग या स्त्रीलिङ्ग

मरुत्। तकारान्त पुल्लिङ्ग या स्त्रीलिङ्ग।   1. मरुत्-मरुद्।  मरुतौ। मरुतः। 2. मरुतम्। मरुतौ। मरुतः। 3. मरुता। मरुद्भ्याम्। मरुद्भिः। 4. मरुते। मरुद्भ्याम्। मरुद्भ्यः। 5. म...

छकारान्त प्राच्छ पुल्लिङ्ग या स्त्रीलिङ्ग

प्राछ्। छकारान्त, पुल्लिङ्ग या स्त्रीलिङ्ग।  (=पूछने वाले का नाम। 1. प्राट्-प्राड्। प्राच्छौ। प्राच्छः।  2. प्राच्छम्। प्राच्छौ। प्राच्छः।  3. प्राच्छा।  प्राड्भ्याम्। ...

आदि और अन्त का लक्षण

*आदि और अन्त का लक्षण:-* *प्रश्न :-*आदि और अन्त का लक्षण क्या है? *उत्तर: -*यस्मात् पूर्व नास्ति परमस्ति स आदिरित्युच्यते।यस्मात् पूर्मस्ति परं च नास्ति सोsन्त इत्युच्यते। *महाभ...

उदात्त व अनुदात्त का लक्षण

*उदात्त और अनुदात्त का लक्षण*    पाणिनीय अष्टाध्यायी में *उच्चैरुदात्त*(1.2.29) *नीचैरनुदात्त* (1.2.30)  ये उदात्त और अनुदात्त स्वरों के लक्षण हैं।इन सूत्रों का प्रायशः यह अर्थ समझा जा...

उदात्त व अनुदात्त का लक्षण

*उदात्त और अनुदात्त का लक्षण*    पाणिनीय अष्टाध्यायी में *उच्चैरुदात्त*(1.2.29) *नीचैरनुदात्त* (1.2.30)  ये उदात्त और अनुदात्त स्वरों के लक्षण हैं।इन सूत्रों का प्रायशः यह अर्थ समझा जा...

स्वरित का लक्षण

*स्वरित का लक्षण* पाणिनी मुनि ने स्वरित का यह लक्षण किया है कि *समाहारः स्वरितः* 1.2.31 अर्थात् उक्त उदात्त और अनुदात्त का दो समाहार = सम्मिश्रण है , वह स्वरित कहलाता है।स्वरित की र...